और अब बारी है, परिवार की...। जी हाँ, आज जिस रफ्तार से हम अपनी जिंदगी जी रहे हैं, उसमें परिवार के लिए तो क्या, खुद अपने लिए भी सुकुन के दो पल निकाल पाना मुश्किल होता जा रहा है। इससे पहले कि हम अपने वजूद की तरह परिवार के अस्तित्व को भी भूला बैठें। चलिए, हम मिलकर अन्तर्राष्ट्रीय परिवार दिवस मनाते हैं। चौंकिए मत, हालात ही कुछ ऐसे बन गए हैं कि इस हाइटेक जमाने में हम फेसबुक पर चैट करना तो नहीं भूलते , बारी-बारी से मोबाइल पर मैसेज और इमेल चेक करना भी याद रखते हैं। भूलते हैं, तो सिर्फ अपने परिवार को। हममें से अधिकतर लोगों को अपने घर के सभी सदस्यों के जन्मदिन की तारीख भी याद नहीं होगी, अगर अब भी हमने अपने परिवार की सुध नहीं ली तो हालात बदतर हो सकते हैं।
संयुक्त राष्ट्र ने 1994 को अऩ्तर्राष्ट्रीय परिवार वर्ष घोषित किया था। बदलते सामाजिक परिदृश्यों को ध्यान में रखते हुए हर साल 15 मई को अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस मनाया जाने लगा है। 1995 से यह सिलसिला बदस्तूर जारी है। इस दिन पूरे विश्व में परिवार की महत्ता समझने के लिए स्थानीय, राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर कई कार्यशालाएं, सेमिनार और सभाओं का आयोजन किया जा रहा है। पूरे विश्व में लोगों के बीच परिवार की अहमियत जाहिर करने के लिए कई आयोजन किये जा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि इस दिन के लिए जिस प्रतीक चिन्ह को चुना गया है, उसमें हरे रंग के एक गोल घेरे के बीचों बीच एक दिल और घर अंकित किया गया है। इससे साफ जाहिर होता है कि किसी भी समाज का केंद्र परिवार ही होता है। परिवार ही हर उम्र के लोगों को सुकून पहुँचाता है।
परिवार एक ऐसा अहम संगठन है जिसे हम चाह कर भी नजरंदाज नहीं कर सकते । पूरे विश्व में समाज की धुरी परिवार पर ही टिकी है। परिवार की एकजुटता आपसी सदभाव और खून के रिश्ते से प्रगाढ़ होती है। हर बच्चा अपने परिवार से ही सीखता है। परिवार ही मिट्टी के ढांचे की तरह कोमल बच्चे को समाज के तौर तरीकों से वाकिफ कराता है और पीढ़ी दर पीढ़ी परंपरा का वहन करने का जज्बा भर देता है। परिवार ही समाज का केन्द्र होता है पर आज परिवार की जगह व्यक्ति विशेष ने ले ली है। धीरे-धीरे पूरब के लोग पश्चिमी सभ्यता के ढर्रे पर चलने लगे हैं। संयुक्त परिवार की जगह एकल परिवार ने ले ली है। आधुनिकता की अंधी दौड़ में हर कोई छोटा परिवार सुखी परिवार को अपनाते हुए परिवार नियोजन को अहमियत दे रहा है। सामाजिक सरोकार में किसी की दिलचस्पी नहीं रह गयी है क्योंकि हर कोई अपनी जिंदगी में मशरूफ है। इससे पहले कि हर रिश्ते की अहमियत हमें फलां दिवस मनाने के बाद याद आए। बेहतर होगा कि हम अपने और परिवार के लिए कुछ समय निकालें। एक संग गुजारे गये पल हमें जिंदगी भर साथ रहने के लिए प्रेरित करेंगे और जिंदगी में नयी खुशियाँ भर देंगे। । हम भूल कर भी एक दूसरे की अनदेखी नहीं कर पायेंगे।
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